छत्तीसगढि़या कबि कलाकार धान के कटोरा हमर छत्तीसगढ़ हँ गीत अऊ संगीत के अथाह-अपार सागर म…
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छत्तीसगढ़ी कहानी: तारनहार -धर्मेन्द्र निर्मल
छत्तीसगढ़ी कहानी-तारनहार परेमीन गली म पछुवाएच हे, धनेस दउड़त आके अँगना म हॅफरत खड़ा होगे। लइका…
परिवार पर छत्तीसगढ़ी कविता-धर्मेन्द्र निर्मल
परिवार पर कविता - छत्तीसगढ़ी कविता बाबू धराके अँगरी बचपन ले,रेंगे ल सिखाथे बाबूजी। सुख दुख…
छत्तीसगढ़ी व्यंग्य- गुरुजी के गुरुरनामा- धर्मेन्द्र निर्मल
छत्तीसगढ़ी व्यंग्य- गुरुजी के गुरुरनामा बरसो बाद काली ‘‘नमो भूखमर्रा गुरूजी’’ के दर्शन होगे। पढ़त रहेन…
छत्तीसगढ़ी व्यंग- दसवा गिरहा दमांद -धर्मेन्द्र निर्मल
छत्तीसगढ़ी व्यंग-जोतिस के जानकार मन ल नौ ले उपरहा गिनतीच नइ आवय। तेकर सेती जोतिस म…
धर्मेन्द्र निर्मल के छत्तीसगढ़ी व्यंग्य-बाढ़ ले आये बढ़वार
असाड़ बुलक गे सावनों निकलइया हे लपरहा बादर हा घुम घुम के भासन दे दे के…
धर्मेन्द्र निर्मल की कहानी- धोखा
चैत का महीना । तेज धूप। दिन किसी छॉव की तलाश में हॉफता फड़फड़ाता इधर उधर…
छत्तीसगढ़ी कहानी- अक्कलवाली
छत्तीसगढ़ी कहानी-अक्कलवाली अक्कलवाली छत्तीसगढ़ी कहानी-अक्कलवाली निरभे अउ गायत्री ए उमर म घलो हाड़ के टूटत ले…
छत्तीसगढ़ी बियंग-‘रचना आमंतरित हे’
छत्तीसगढ़ी बियंग-रचना आमंतरित हे-ए खभर ल सुनके कतको अनदेखना इरखाहा मन के छाती फटइया हे। हमन…
व्यंग्य-‘साधुघाट की असभ्यता’- धर्मेन्द्र निर्मल
टन्नकपुर की खुदाई में यह बात उभर कर सामने आयी है कि आज से हजारों साल…