श्लेष चन्द्राकर की कुण्डलियांँ सँवरें फिर पर्यावरण, करिए ऐसा काज। देना इसपर ध्यान है, बहुत जरूरी…
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नवरात एवं दशहरा पर्व पर श्लेष चन्द्राकर की कुछ रचनाएं
विजयादशमी पर्व से, मिलता यह संदेश। बनता कारण हार का, अहंकार आवेश।१। जय-जय-जय हे शेरावाली। शान…