Vasundhara-patel-akshara kr 5 geet वसुंधरा पटेल अक्षरा के 5 गीत

Vasundhara-patel-akshara kr 5 geet वसुंधरा पटेल अक्षरा के 5 गीत

vasundhara-patel-akshara

Vasundhara-patel-akshara kr 5 geet
Vasundhara-patel-akshara kr 5 geet

वसुंधरा पटेल अक्षरा के 5 गीत

हाँ अंतस की पीड़ा मुझसे,  रो-रोकर कुछ बोल रही

सहनशीलता कितनी मुझमें, लिए तराजू तोल रही
हाँ अंतस की पीड़ा मुझसे, रो-रोकर कुछ बोल रही

अधरों पे मुस्कान सदा ही, मेरी तो पहचान यही
व्यापक विपदाओं के घेरे,खुश रहना आसान नहीं
मुझे रुलाने की कोशिश में, पात सरीखे डोल रही
हाँ अंतस की पीड़ा मुझसे, रो-रोकर कुछ बोल रही

राह कटीली में चलकर भी, हर्षित पाँवों के छाले
देख अचंभित ये जगवाले, राख हुए जलने वाले
खुश होकर जीवन मे मेरे, प्रेम स्वरस यूँ घोल रही
हाँ अंतस की पीड़ा मुझसे, रो-रोकर कुछ बोल रही

तुम्हें हराने की कोशिश में, हार हमेशा मुझे मिली
किस माटी की बनी “अक्षरा”,अंतर्मन से सदा खिली
हाथ जोड़कर आगे मेरे, राज स्वयं का खोल रही
हाँ अंतस की पीड़ा मुझसे, रो-रोकर कुछ बोल रही

सहनशीलता कितनी मुझमें, लिए तराजू तोल रही
हाँ अंतस की पीड़ा मुझसे, रो-रोकर कुछ बोल रही

मन मायावी सा छल करता, रूठ गए सब भाव

कबसे मौन कलम है मेरी, जीवन मे ठहराव
मन मायावी सा छल करता, रूठ गए सब भाव

अहसासों के अंतस में ही, छूट रहें हैं प्राण
अक्षरमंत्रों से संभव है, उनका जीवनदान
अभिव्यक्ति अपनी बस रह गई, बनकर हाँ इक घाव
मन मायावी सा छल करता, रूठ गए सब भाव

कहीं अधूरे रह ना जाए, अधरों के ये गीत
कविताएँ आवाज लगाती, दो हमको संगीत
करो सृजन तुम खो मत देना, अपना नेक स्वभाव
मन मायावी सा छल करता, रूठ गए सब भाव

आज स्वयं का युद्ध स्वयं से, मुझको है स्वीकार
रचने को नवगीत यहाँ फिर, बैठी हूँ इक बार
माना सच है अब भी मुझमे, अनगिन शेष अभाव
मन मायावी सा छल करता, रूठ गए सब भाव

कबसे मौन कलम है मेरी, जीवन मे ठहराव
मन मायावी सा छल करता, रूठ गए सब भाव

हे विरहिणी प्रेम का प्रतिमान हो तुम

मन सदा लक्ष्मण प्रिया निश्छल तुम्हारा
हे विरहिणी प्रेम का प्रतिमान हो तुम

यह प्रतीक्षा की घड़ी कब प्राण छूटे
वेदना सर्वस्व जैसे स्वप्न लुटे
हाँ विकलता से स्वयं विश्वास जीता
नेह का अनुबंध है ऐसे न टूटे

बिन पिया  जीवित शिला उपमान हो तुम
हे विरहिणी प्रेम का प्रतिमान हो तुम

जानकी की साध्वी प्रियता दुलारी
जब विरह तप में तपी वो पीर भारी
था व्यथाओं से भरा जीवन तुम्हारा
उर्मिला रघुकुल वधू फिर भी न हारी

प्रिय सुता मिथिलेश की अभिमान हो तुम
हे विरहिणी प्रेम का प्रतिमान हो तुम

त्याग की देवी बनी अभ्यास पाकर
तुम नही विचलित हुई सन्यास पाकर
जब बनी सहधर्मिणी कर्तव्य की तुम
संग सुख सारे गए वनवास पाकर

पिय लखन की प्रेरणा यशगान हो तुम
हे विरहिणी प्रेम का प्रतिमान हो तुम

प्रेम निश्छल है तुम्हारा, आज मैं स्वीकारती हूँ

सच कहूँ सर्वस्व प्रियतम, हाँ तुम्ही पे वारती हूँ
प्रेम निश्छल है तुम्हारा, आज मैं स्वीकारती हूँ

धमनियों में रक्त जैसे, शुद्ध बहते हैं सदा ही
प्रेम होता है समर्पण, लोग कहते हैं सदा ही
गीत यह जीवन पटल पर, भाव संग उतारती हूँ
प्रेम निश्छल है तुम्हारा, आज मैं स्वीकारती हूँ

बावरा व्याकुल बड़ा मन, मौन रहकर बोलता है
क्या बताएँ हाल हिय की, बेधड़क हो खोलता है
देखकर दर्पण स्वयं का, रुप हौले सँवारती हूँ
प्रेम निश्छल है तुम्हारा, आज मैं स्वीकारती हूँ

शेष मुझमें मैं नही अब, बस तुम्हीं तुम जानते हो
पृष्ठ अंकित प्रेम का है, औ प्रमाणित मानते हो
पाकर तुम्हें पूरी हुई, कब कहाँ इनकारती हूँ
प्रेम निश्छल है तुम्हारा, आज मैं स्वीकारती हूँ

सच कहूँ सर्वस्व प्रियतम, हाँ तुम्ही पे वारती हूँ
प्रेम निश्छल है तुम्हारा, आज मैं स्वीकारती हूँ

मेरे गीत और कविताएँ, हैं याद सबको जुबानी

मेरे गीत और कविताएँ, हैं याद सबको जुबानी

बस नेह की मधु चाशनी में, डूबे हैं पदबंध सारे
कह दूँ हिया की बात सबसे, सच लेखनी के सहारे
नहीं ज्ञान छंद व्याकरण की, हूँ साधिका मैं दिवानी
मेरे गीत और कविताएँ, है याद सबको जुबानी

जब से कलम ने हाथ थामा, वश में हुआ बावरा मन
आकार भावों को मिल गया, नव प्राण भरने लगा तन
पाकर नव जीवन को हर्षित, आये अँखियों से पानी
मेरे गीत और कविताएँ, है याद सबको जुबानी

माँ शारदे की मुझ पर कृपा ,होने लगी आज जैसे
नवगीत देखो सजने लगे, स्वयं अक्षरों में कैसे
कविता के इस पटल पर अब, लिख दूँ वो अमर कहानी
मेरे गीत और कविताएँ , हैं याद सबको जुबानी

मेरे गीत और कविताएँ, हैं याद सबको जुबानी

-वसुंधरा पटेल “अक्षरा”

11 मुक्तक -वसुंधरा पटेल “अक्षरा”

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7 thoughts on “Vasundhara-patel-akshara kr 5 geet वसुंधरा पटेल अक्षरा के 5 गीत

  1. बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति के लिये हार्दिक शुभकामनाएँ

  2. वाहहहह वाहहहह बहुत सुंदर दीदी आपको और आपकी लेखनी को नमन

    1. हिन्‍दी कविता है, हिन्‍दी में पढ़ने से आपको आनंद आया होगा तो, टिप्‍पणी भी हिन्‍दी में करते तो हमारी भाषा की सेवा होती ।

    1. हिन्‍दी कविता है, हिन्‍दी में पढ़ने से आपको आनंद आया होगा तो, टिप्‍पणी भी हिन्‍दी में करते तो हमारी भाषा की सेवा होती ।

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