वसुंधरा पटेल “अक्षरा” की 11 कुण्डलियाॅँ
वसुंधरा पटेल “अक्षरा” की 11 कुण्डलियाॅँ
11 कुण्डलियाॅँ
1.हे माँ पुस्तकधारिणी –
मानव मन की वेदना, समझ सकूँ नादान।
हे माँ पुस्तकधारिणी, दो ऐसा वरदान।।
दो ऐसा वरदान, कलम नित चलती जाये।
लिखूँ सतत नव छंद,सभी के मन को भाये।।
जीवन हो उजियार,मिटे तम रूपी दानव।
चाह नही कुछ और,रहें सब मिलकर मानव।।
2.कहाँ से दूरी आई
बच्चे देखो हो रहे, हर रिश्तें से दूर।
और बड़ों के बीच मे ,प्रेम नही भरपूर।।
प्रेम नही भरपूर, कहाँ से दूरी आई।
जो एकल परिवार, दूर है भाई भाई।।
कह वसुधा करजोड़,डोर हुए सभी कच्चे।
रहने को जी साथ, तरसते बूढ़े बच्चे।।
3.धीरज धर तूफान में
धीरज धर तूफान में, अटल रहे जो वीर।
इतिहासों में वे सदा, पूजे जाते धीर।।
पूजे जाते धीर,नही जो पौरुष खोते।
उनके आगे पस्त, सभी संकट हैं होते।।
रखते जो मुस्कान, यथा हो कोई नीरज।
पाते वे ही मान, सदा जो धरते धीरज।।
4.शिवा कहलाई माता –
माता गौरी ने किया,यह तीजा उपवास।
शिव जी को पतिरूप में,पाने की ले आस।।
पाने की ले आस,किया तप जल में जाकर।
सहे सैकड़ों कष्ट, रही पत्तों को खाकर।।।
कठिन तपस्या देख,हुए आनंदित दाता।
तब से शिव को ब्याह, शिवा कहलाई माता।।
5.राधा जी का नाम लो –
राधा जी का नाम लो,कान्हा आते भाग।
कान्हा जी हैं पुष्प तो, है राधिका पराग।।
है राधिका पराग, युगल छवि कितनी प्यारी।
मान प्रेम प्रतिमान, पूजती दुनिया सारी।।
लेते हैं जो नाम,कटे उनकी सब बाधा।
जप लो सुंदर आप,मंत्र है पावन राधा।।
6.करते रहना योग –
धीरे धीरे रोग से,होंगे आप निरोग।
रोज सुबह जो हो सके,करते रहना योग।।
करते रहना योग,मिलेगी सुंदर काया।
संग ओम का जाप,और छूटेगी माया।।
कह वसुधा करजोड़, सुनो ज्यों चमके हीरे।
जीवन रुप आकार, योग से धीरे धीरे।।
7. लाऊँ तुमको क्यों भला –
बेटी इस संसार में, बसते हैं हैवान।
लाऊँ तुमको क्यों भला, बनकर यूँ अनजान।।
बनकर यूँ अनजान, नही दिल तेरा तोड़ूँ।
है प्यारी मुस्कान, दुखों से कैसे जोड़ूँ ।।
कह वसुधा करजोड़,सदा पावक में लेटी।
जीवन है अभिशाप, यहाँ मत आना बेटी।।
8. आओ हम मिलकर रखें –
आओ हम मिलकर रखें, स्वच्छ गली ये गाँव।
सुंदर भारत देश हो, सुंदर पीपल छाँव।।
सुंदर पीपल छाँव, हवा शुद्ध हमें देती।
मिटते तन के रोग,नही कुछ हमसे लेती।।
कह वसुधा करजोड़,सभी आँगन महकाओ।
कूड़ा करकट दूर, करें हम मिलकर आओ।।
9.करती करुण पुकार –
प्यारी बिटिया गर्भ से, करती करुण पुकार।
माँ क्या मुझको है नही, जीने का अधिकार।।
जीने का अधिकार, मुझे इस जग में लाना।
देखूँ स्वप्न हजार, और सभी को सजाना।।
कह वसुधा करजोड़,सुनो माँ सबसे न्यारी।
सुख दुख का है साथ, कहे जी बिटिया प्यारी।।
10. कहाँ है बोलो रोटी –
रोटी मुद्दा है रहा, मुद्दा है यह आज।
इसके बल पर है मिले, कितने सिर को ताज।।
कितने सिर को ताज,जीतकर सारे भूले।
वादे सारे भूल,प्रतिष्ठा पद पर फूले।।
जोड़े पहले हाथ,बाद मे चढ़ते चोटी।
मिटी न अब तक भूख, कहाँ है बोलो रोटी
11. पानी बड़ा अमूल्य है –
पानी बड़ा अमूल्य है, समझ मनुज नादान।
यह जीवन आधार है, करता क्यों अपमान।।
करता क्यों अपमान, इसे तू व्यर्थ बहाता।
मचता हाहाकार, बाद में तू पछताता।।
कह वसुधा करजोड़,न कर मानव मनमानी।
सीमित है जलधार, बचाएँ मिलकर पानी।।
-वसुंधरा पटेल”अक्षरा”
बासनपाली,खरसिया (रायगढ़)
वसुंधरा पटेल “अक्षरा” की छ: घनाक्षरी छंद
वसुंधरा पटेल “अक्षरा” जी की 11 कुंडलियों में जीवन के विविध पक्षों की छटा दृष्टव्य है। वंदना , लोक , परिस्थिति ,व्यक्ति, संस्कृति और विविध पक्षों पर विवेचना करते हुए भाव सृजन हेतु उन्हें बधाई !
आदरणीय सर जी मेरी रचनाओं को आपका स्नेह व आशीर्वाद मिला,,बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरा उत्साह बढ़ाने हेतु,,, आपका स्नेह व आशीष सदा मुझे मिलता रहे
अद्भुत,अवर्चनीय, सन्देशप्रद काव्य दीदी
मेरा उत्साह बढ़ाने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद हरीश
अप्रतिम भावों से परिपूर्ण श्रेष्ठ कुंडलियां वसुंधरा जी,,,,,अनंत बधाइयां
आदरणीय शर्मा सर जी मेरा उत्साह बढ़ाने हेतु,,, मेरी रचनाओं को आशीष देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका,,
बहुत ही सुंदर कुण्डलियाँ दीदी
धन्यवाद सोमू,,,
very nice
धन्यवाद आपका
अप्रतिम रचना di बहुत ही सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति मेरी रचनाओं को स्नेह देने के लिए।
बहुत ही अच्छा लगा सारी कुंडलियां बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएं।
बहुत बहुत धन्यवाद भइया मेरी रचनाओं को आशीर्वाद देने हेतु, मेरा उत्साह बढ़ाने हेतु,,, सदैव आपका मार्गदर्शन स्नेह व आशीष मिले।
Very nice.
Congratulations
Wish you good future.
धन्यवाद आपका
आदरणीय शर्मा सर जी मेरा उत्साह बढ़ाने हेतु,,, मेरी रचनाओं को आशीष देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका,,
बहुत ही सुन्दर लिखी है आपने वसुन्धरा आप अपने कुण्डलियों के माध्यम से समाज को एक नये चेतना प्रदान करने की कोशीस की है मेरी प्यारी सहेली आप ऐसे ही हमेशा अच्छी अच्छी लिखती रहो
बहुत बहुत शुभकामनाऐँ💐💐💐
बहुत ही सुन्दर लिखी है आपने वसुन्धरा आप अपने कुण्डलियों के माध्यम से समाज को एक नये चेतना प्रदान करने की कोशीस की है मेरी प्यारी सहेली आप ऐसे ही हमेशा अच्छी अच्छी लिखती रहो
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