मंगल हो वर्ष नया ! (नये साल पर कविता)
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
मुहूर्त भी नया और भाव भी
हर तरफ , हर पल , हर कोण
हम भी और तुम भी
चलो कुछ नया करें ,
नयी लेकर सोच ,
एक नयी दृष्टि ,
बीज लेकर चल रही संस्कृति ,
हाँ , नयी जलवायु
रचेगी कुछ नए प्रयोग ,
वर्ष है नया ,
नए संयोग
नए योग !
नूतनता का आभास
रहे हरदम ,
सोच में ,
व्यव्हार में,
हर क्षेत्र
सभी मंगल हो ,
सभी मंगल ,
मिटे वो भाव जहाँ हो कहीं अंधकार
मिटे वो भाव जहाँ हो कहीं प्रतिकार !
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह