दो कवितायें
विश्व पुस्तक दिवस
-डॉ. अर्चना दुबे ‘रीत’
विश्व पुस्तक दिवस पर दो कवितायें
आज 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर प्रस्तुत है डॉ. अर्चना दुबे ‘रीत’ की दो कवितायें । पहली पुस्तक दोहावली है जिसमें पुस्तकों के संबंध में दोहे हैं वहीं दूसरी कविता किताब शीर्षक से पुस्तकों के महत्व को प्रतिपादि कर रही है ।
1. पुस्तक दोहावली (दोहे)-
पुस्तक देती है सदा, अच्छे ज्ञान विचार ।
जीवन में अपनाइये, नैतिकता व्यवहार ।।1।।
पुस्तक को पढ़िये सदा, शब्दों का भंडार ।
जीवन के हर मोड़ में, नैया करती पार ।।2।।
पुस्तक से दूरी तजो, लेकर चलिये साथ।
कथा कहानी को पढ़ो, लेकर अपने हाथ ।।3।।
माता वीणापाणिनी, करिये दया अपार ।
मुझको माँ वरदान दो, याद करे संसार ।।4।।
बचपन से निज हाथ में, प्यारी यही किताब ।
अब पढ़ लिख आगे बढ़े, रखना सही हिसाब ।।5।।
पुस्तक में सब है लिखे, ज्ञान और विज्ञान ।
जिसने इसको पढ़ लिया, जग में बढ़ती शान ।।6।।
गागर में सागर भरे, ये पुस्तक अनमोल ।
जितना भी तुम पढ़ सको, नहीं सकोगे तोल ।।7।।
पुस्तक से कर मित्रता, बन जाओ विद्वान।
विद्वत्ता का मान है, सब करते सम्मान ।।8।।
2.कविता-किताब
किताबें ज्ञान की देवी
सिखाती हर घड़ी सबको
ज्ञान – विज्ञान है इसमें
जगत का सार है इसमें ।
इसे नहि बन्द कर रखना
किसी अलमारी बक्से में
इसी के ज्ञान में तपना
तपस्वी बनके ही रहना ।
गुज़र जायेगा ऐसे दिन
पढ़ोगे जब इन पन्नों को
सताएंगी नहीं तुमको
अकेलापन किताबों से ।
बड़ी बेचैन है करती
अधूरे पाठ्यक्रम को ये
लालसा प्रतिपल जगती है
जहां बिकती किताबें हैं ।
कहानी को जो पढ़ते हैं
किताबों में ही रमते है
शब्द भंडार मिलता है
ज्ञान का खान मिलता है ।
नहीं कम्प्यूटर, गूगल पर
वो हर एक बात मिलता हैं
किताबों के वो पन्नों में
जिह्वा को स्वाद मिलता है ।
डॉ. अर्चना दुबे ‘रीत’✍️
मुम्बई, महाराष्ट्र
सोहर गीत : जन्में अयोध्या में राम-डॉ.अर्चना दुबे ‘रीत’