व्यंग्य : दुलत्ती मारने के नियम-सुशील यादव

व्यंग्य :

दुलत्ती मारने के नियम

-सुशील यादव

व्यंग्य : दुलत्ती मारने के नियम-सुशील यादव
व्यंग्य : दुलत्ती मारने के नियम-सुशील यादव

व्यंग्य : दुलत्ती मारने के नियम-सुशील यादव

वे गधों की क्लास ले रहे थे |क्लास लेने का मतलब ये कि वे बाकी से ज्यादा समझदार होने की हैसियत रखते थे | उनकी ‘समझ का लोहा’ बिरादरी में उचे तापमान पर गला माना जाता था |

क्लास लेने का दूसरा पहलु ये भी था कि बाकी सब निरे गधे थे | इस मुल्क में ये दस्तूर अभी हालिया २० वीं २१ वीं सदी का नहीं है | गधे के पाए जाने के ज्ञात श्रोत की तारीख से लगभग बराबर का है |

कुछ लोगों का अनुमान है कि गधों के न पाए जाने पर, लंगोटिया यार से, कहीं – कहीं, रोल माडल अभिनय निभवा लेने का रिवाज भी प्रचलित रहा |उनके गधत्व गुण को सुधारने का प्रयास स्वयं भू, गुरुओ ने दायित्व भांति निभाने का बीड़ा उठा रखा है |

इधर ९० की दशक बाद ये गुरु- चेले करोना रफ्तार से फैले | टी वी एंकर की प्रायोजित लड़ाई,और टांग खीचने वाले पार्टिसिपेंट ने, दुलत्ती मार नेताओं की मांग दिनों दिन बढ़ा डाली |

सामाजिक बुराइयों पर आख्यान –व्याख्यान ,सत्तर अस्सी दशक के भजन कवि सम्मेलन माफिक हवा में घुलने लगे |

चेला बनाने के तरीकों की खोज होने लगी।किसी ने योग, किसी ने अपने इनट्युशन, किसी ने आध्यात्म ,किसी ने हल्दी –अदरक आजवाइन के नुस्खो, तो किसी ने इंजीनियरिंग- ठेकेदारी की फील्ड को दुलत्ती झाड़ने के अधिकार के तहत चुना | इन तरीकों के माध्यम से मोटी कमाई का जरिया भी इजाद होने लगा |

इन सबसे बढ़के मांगीलाल ने डंके की चोट पर खलिस राजनीति को चुना |

मैंने एक दफा इस बाबत मांगीलाल से पूछा , आपने स्वत: के गुरु बनने और दीगर को चेला बनाने के लिए, राजनीति के मैदान को ही क्यों चुना …..?

-देख भई पत्रकार मैंने तो आफ द रिकार्ड बात करना पसंद होवे है |

तू अपनी मंशा खातिर पूछे होवे तो बताऊँ …? इधर –उधर छाप-छूप के नाम कमाना होवे तो फिर भागते नजर आइयो….

-वे ठेठ लहजे में अपनी पे उतर आये |

-मैंने आये मौके को न छोड़ते हुए , उनकी बात पे राजी होना सही समझा |

-वे बोले राजनीति तो शाश्वत फील्ड है | सबसे ज्यादा भीड़ की गुंजाइश यहीं होती है |एक राज की बात जानो , “हर आदमी में नेता बनने की इच्छा दबी पाई जाती है”
यूँ तो ऐसा किसी महापुरुष ने नहीं कहा , मगर कल कहीं कोट करना हो तो मांगीलाल का नाम चिपका देना समझे |

-इस दबी इच्छा के एवज हमें ‘रा- मटेरियल’ खूब जोरों से मिल जाता है | यानी दुलत्ती झाड़ना सीखने के प्रशिक्षु गली – गली मुहल्ले- मुहल्ले थोक के भाव से एक आवाज पर आ जाते हैं | उनको न धारा १४४ रोक पाती और न करोना लील पाता | बस आवाज देने वाले की कुवत पर सारा मामला टिका होता है |

_आपने ये आवाज देने वाले की कुवत का जिक्र किया ,ये क्या बला है …..?

कूवत ……? हाँ कूवत ! में ही सारा दारोमदार है | आप इधर इलेक्शन देखे होंगे ….? वे मेरी ओर सवालिया अंदाज में देखे ….. मैंने हामी में सर हिलाया वे बोले इसमें एक जीतने वाला और दूसरा संभावित हारने वाला होता है | दोनों के बीच का यही संभावित महीन फासला, उनके कार्यकर्ताओं बीच नोक- झोंक, गाली गलौज , मारपीट को बढाता है, इससे अखबारो को न्यूज वा टी वी को ब्रेकिंग पाइंट मसाला मिलता है | जिनमे जितनी कूवत दिखाने की क्षमता होती है मैदान उसी का हो जाता है|

इन दिनों हम अपने ‘पंटरों’ को राजनीति में रायता फैलाने की तरकीबों से बाकायदा वाकिफ करवा रहे हैं | तू-तू, मै-मै ,भो-भों कब कैसे करना है यही आजकल सिखा रहे हैं |

-पत्रकार बाबू , राज की बात और बताऊ ….? एक तिरछी निगाह मुझ पर फिर पड़ी ….मेरी उत्सुकता का वो पारखी निकला ….स्वस्फूर्त बताने लगा …..हमने तो अपने कार्यकर्ताओं को दुलत्ती मारने की बकायदा ट्रेनिग भी दे रखी है | ये काम अपने ‘फेमली- धोबी’ बनवारी रजक , के बगैर संभव नहीं था पर उस बेचारे ने हमारे कार्यकर्ताओं की खूब मदद की ,गधों के एक- एक एक्शन के रिप्ले में वे सैकड़ों दुलत्तियाँ खा गए | वे इस फन के माहिर उस्ताद थे जो झेल गए |

आपको हमारे प्रशिक्षित गधा नुमा कार्यकर्ताओ को कभी आजमाना हो तो आप किसी कार्यकर्ता की गतिविधि का अध्ययन करना | वे अपना काम निकलने के बाद बेचारी जनता को कैसे अपनी दुलत्ती शिकार बनाते हैं ? , हाँ भई समझो ,आफ द रिकार्ड बोलतोय |

अपनी पार्टी के जीतने की प्रबल संभावना के मद्देनजर आपको डंके की चोट पर बता रहा हूँ , अपना दुलत्ती बलिदानी रजक बाबू , इस बार पार्टी की तरफ से राजसभा में जरुर पहुचेगा |

यूं तो हमारे शिक्षण का कापी राइट नहीं है ,इसी वास्ते पीछे वीक एक सभ्रांत पार्टी ने जम के दुलत्ती झाड़ दी।

मैंने कहा, मांगीलाल जी आपका सपना जरुर पूरा हो ……

-सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर
जोन १ स्ट्रीट ३ दुर्ग
छत्तीसगढ़
9408807420

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *