वक़्त की प्रूफरीडिंग
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
वक़्त की प्रूफरीडिंग प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह की काव्यमय प्रस्तुति है जिसमें तीन कविताऍं सम्मिलित हैं । तीनों कविता समय की महत्ता को प्रदर्शित करती है । ये तीनों कविताऍं नई कविता की पृष्ठभूमि पर अवलंबित है ।
1. रात
चांदनी की रात थी कल याद आयी रात भर ,
खिड़कियों के उड़े परदे , हवा मचली रात भर।
जैसे किसी ने रात को अफसाना सुनाया जाग कर,
हर एक लम्हा था उठा , रात जाएगी रात भर।
खुशबुओं से भर गया हर एक कोना इस तरह
क़तरा क़तरा इश्क़ लम्हों ने कुरेदा रात भर।
2. सोचता है मुसाफिर लौट जाना ही भला
सोचता है मुसाफिर लौट जाना ही भला
नदी भी ठहरी हुयी है ,मौन लहरें शांत हैं।
पास आने पर अचानक राग बंदिश मिट गये,
समझ में आता नहीं , इन्हे जाने क्या हुआ।
पार क्या करना उसे जो शांत सा सैलाब अब ,
लहर पर चढ़कर चले हैं , इस तरह बढ़ना क्या अब।
3. अफवाहें
एक अरसे से कहीं ठहरा नहीं है ख्वाब भी ,
हर बार मैंने उसे रोका अनसुनी कर चल दिया।
अफवाहों से गर्म हुये बाजार इस तरह
कल तक जो दिल में रहते थे , फेर रहें हैं नज़रें अब।
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
(प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्किट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें(2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी(2019) , चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं । बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017) ,पथिक और प्रवाह(2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑफ़ फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सोलह पुरस्कार प्राप्त हैं ।)