
दोहा-
मात पिता की वन्दना, चरण झुका कर शीश।
मेरे मस्तक हाथ रख, देना नित आशीष।।
चौपाई –
जय जय मात पिता मम देवा। जन्मदात्री करूँ नित सेवा।।
मात पिता मम पूज्य सितारे। तुमको दूँ जीवन सुख सारे।।
तुमसे तन धन जीवन पाया। ऋण तेरा कब कौन चुकाया।।
जब जीवन अंधियारी छाये। मात पिता तब दीप जलाये।।
तुमने पग-पग साथ निभाया। जब दुख आये दूर भगाया।।
मॉं गंगा है स्नेही निर्मल। पिता धर्म सम दीपक उज्ज्वल।।
मॉं आँचल की शीतल छाया। पिता की वाणी से बल पाया।।
मॉं कोमल ममता रस घोले। सुदृढ़ पिता जीवन पथ खोले।।
दोहा –
करूँ नमन उन चरण को, जिनमें दिव्य प्रकाश।
मात मिता अनुरागमयी, उनके मिटे निराश।।
चौपाई –
माता पिता कृपालू दाता। जीवन के तुम प्रथम विधाता।।
जब मैं गिरा धरा पर रोया। तुमने झटपट हृदय समोया।।
भरी नींद पलकों पे आई। तुम झूला बन गीत सुनाई।।
भूख लगी तब अन्न खिलाया। नींद लगी गोदी में सुलाया।।
कभी थके नहीं रुके न हारे। देते सुख नित दिये सहारे।।
जनम -जनम वर मांगूँ ऐसा। साया मिले तुम्हारे जैसा।।
दोहा –
यही जगत के प्रथम गुरू, काटे जीवन क्लेश।
बच्चों के जीवन सदा, माता पिता विशेष।।
चौपाई – मॉं ममता की मूरत ठहरी। पिता सदा रहता मम प्रहरी।।
मॉं की नैन करुण रस धारा। पितृ बैन सुन दुर्मति हारा।।
बैरी रात जगे जब माता। पिता झपट सब त्रास मिटाता।।
पिता वैद्य है पिता दवाई। मातु मिटाती फटी बिवाई।।
तुमसे पाया सभी खजाना। सेवा प्रेम समर्पण बाना।।
जब संतति पर संकट आया। तुमने शाश्वत धर्म निभाया।।
मॉं धरती का फर्ज निभाये। पिता स्वप्न साकार बनाये।।
मात पिता नित वन्दन करते। वही सदा सुख जीवन भरते।।
दोहा – है देवों के देव पिता, मॉं धरती का रूप।
इनका नित पूजन करो, बनते काज अनूप।।
चौपाई – ज्ञान ज्योति का करे उजाला। देव सदृश ये भरे निवाला।।
मात पिता का मान करोगे। तब जीवन रस पान करोगे।।
इनसे रख लो निर्मल नाता। सबका जीवन सहज बनाता।।
मर्यादा का पाठ पढ़ाते। संतति शुचि संस्कार जगाते।।
प्रथम प्रणाम करे पितु माता। गणपति प्रथम देव विख्याता।।
श्रवण कुमार सुयश युग बेटा। राम श्रेष्ठ सुत कलयुग त्रेता।।
युग-युग इसका यश नित गाये। मात-पिता ऋण चुका न पाये।।
इनसे खुले स्वर्ग का ताला। माता सखी पिता रखवाला।।
दोहा – पिता रुद्र पीता गरल, विष्णु बह्म का वास।
माता धरती सम सरल, पिता सुदृढ़ आकाश।।
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डॉ.अशोक आकाश
ग्राम कोहंगाटोला, बालोद, छत्तीसगढ़
9755889199



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