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मोर गंवा गे हे गांव कइसे खोज के मैं लांव-सुरेन्द्र अग्निहोत्री “आगी”

मोर गंवा गे हे गांव कइसे खोज के मैं लांव-सुरेन्द्र अग्निहोत्री “आगी”

मोर गंवा गे हे गांव कइसे खोज के मैं लांव
खोज खोजत इही गांव ल मोर थक गए हे पांव मोर गंवा गे हे गांव…

पएडगरी ले चल के जांवव
नरवा खंड ले ओला निहारंव खदर के छानी म जिनगानी ह
चहकत आवै वोला मैं पांवव
धुर्रा उडावत धेनु भागै
बछरू मन जब गोहरावै
गांव बाहिर के गोठान गंवागे
चारा चरे के भुंइया छेंकागे
मैं ह काला बतांव कइसे खोज के मैं लांव….

जाम के बारी सुन्ना होगे
छिता रुख सबो जुन्ना होगे
आमा बगइचा खंडहर होगे
महुआ रुख अब नोहर होगे
पनिहारिन बिन सुन्ना पनघट
गांव लगत हे जइसे मरघट
बर पिपर के छांव नंदागे
मोर सुघ्घर वो गांव गंवागे
अब कती कोती जांव मोर गंवागे हे गांव…

भोजली महापरसाद बिसरगे
मितान के सीताराम बिखरगे
गंगाजल मैं काला बुलावंव
बैरभाव जमोकोती पसरगे
मोर गांधी के रामराज ह
कइसे रावन राज म ढलगे जिनगी कइसे चलांव मोर गंवागे हे गांव…

मन के पीरा हरे ल परही
गांव के दिसा ल बदले ल परही
मन के अंतरभेद मिटाबो
मया पारित के दिया जलाबो
छलकपट सुवारथ ल भगाके
मन के बगिया म फूल खिलाबो
बनके समता के छांव फिर से पा जाबो गांव
मोर गंवागे हे गांव कइसे खोज के मैं लांव..

सुरेन्द्र अग्निहोत्री”आगी”
महासमुंद
7771031421

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