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रचनात्मक व्यक्तित्व और साहित्यिक अवदान सुरजीत नवदीप-डुमन लाल ध्रुव

हिन्दी साहित्य जगत में छत्तीसगढ़ के अनेक साहित्यकारों ने अपनी लेखनी से विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्हीं में एक सशक्त, संवेदनशील और बहुआयामी रचनाकार हैं सुरजीत नवदीप। हास्य व्यंग्य कवि और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के मंच संचालक के रूप में उनकी पहचान स्थापित है। उनकी लेखनी में अनुभवों की गहराई, लोक-जीवन की सहजता, आधुनिक समय की विडंबनाएं तथा मानवीय संवेदनाओं की गहन व्याख्या स्पष्ट दिखाई देती है।
सुरजीत नवदीप का जन्म – 01 जुलाई 1937 को मंडी भवलदीन (पंजाब, वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ। विभाजन की त्रासदी के बाद उनका परिवार भारत आ गया। यह अनुभव उनके जीवन और रचना-दृष्टि में कहीं गहराई से दर्ज हुआ क्योंकि विस्थापन, संघर्ष और नए समाज में बसने की पीड़ा उनके साहित्यिक संस्कार का आधार बनी।
उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त कर एम.ए. (हिन्दी), बी.एड. तथा सी.पी.एड. की उपाधियां हासिल की। लंबे समय तक शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए साहित्य और समाज के गहरे अध्ययन से उन्होंने अपनी रचनात्मकता को धार दी। सेवानिवृत्ति के पश्चात वे स्वतंत्र लेखन और साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे।

सुरजीत नवदीप की रचनाओं में विविधता है। उन्होंने उपन्यास, हास्य व्यंग्य की विधाओं में लेखन किया। उनकी प्रमुख कृतियां हैं—

लाजवंती का पौधा (उपन्यास), हवाओं में भटकते हाथ (काव्य संग्रह), कुर्सी के चक्कर में (काव्य संग्रह), शब्दों का अलाव (काव्य संग्रह, द्वितीय संस्करण सहित),
आंसू हंसते हैं (काव्य संग्रह),
रावण कब मरेगा ? (काव्य संग्रह), खाओ पीयो खिसको (व्यंग्यात्मक रचना), बुढ़ापा जिन्दाबाद (हास्य-व्यंग्य) इसके अतिरिक्त देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके गीत, गजल, कविताएं, कहानियां और व्यंग्य लेख लगातार प्रकाशित होते रहे।
उनकी कविताओं में मानवीय संबंधों की जटिलता, सामाजिक विसंगतियों पर व्यंग्य और जीवन की मार्मिक स्थितियों का चित्रण मिलता है। उपन्यास और कहानियों में वे समाज की वास्तविकताओं को बिना लाग-लपेट सामने रखते हैं। हास्य-व्यंग्य में उनकी लेखनी तीखी होते हुए भी सहज और मनोरंजक रहती है।
वे मंचीय कवि भी रहे हैं जिनकी वाणी में सरलता और आकर्षण था।
सुरजीत नवदीप केवल लेखक ही नहीं बल्कि सशक्त मंच-संचालक रहे। उन्होंने आकाशवाणी और दूरदर्शन पर अनेक बार काव्यपाठ किया। इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में उनकी उपस्थिति और संचालन उल्लेखनीय रहा।
उनकी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों के लिए उन्हें अनेक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया गया – राजभाषा स्वर्ण जयंती समारोह, भद्रावती (कर्नाटक),
मेट्रो रेलवे, कलकत्ता, छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, रायपुर,स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कलकत्ता, नेशनल थर्मल पावर, तेलचर, अंगुल (उड़ीसा), छत्तीसगढ़ साहित्य सम्मेलन, रायपुर , छत्तीसगढ़ लोक संस्कृति साहित्य सम्मान, बेमेतरा, राष्ट्रभाषा कार्यान्वयन समिति, सेन्ट्रल बैंक रायपुर, लायंस, लायनेस, रोटरी, फैण्ड्स क्लब, धमतरी
अन्य साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाएं। सुरजीत नवदीप के व्यक्तित्व में शिक्षक की सरलता, कवि की संवेदनशीलता और व्यंग्यकार की पैनी दृष्टि का संगम था। उन्होंने साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया और छत्तीसगढ़ी साहित्यिक परंपरा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दर्ज कराया।
उनकी रचनाएं न केवल पाठकों को मनोरंजन देती है बल्कि समाज की विसंगतियों, राजनीतिक चालों, मानवीय संबंधों की टूटन और संघर्षशील जीवन की विडंबनाओं को उजागर करती है।
सुरजीत नवदीप छत्तीसगढ़ के साहित्यिक परिदृश्य में एक ऐसा नाम है जिन्होंने अपनी रचनात्मकता से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि वे मानवीय जीवन की गहराइयों को छूती हैं और समाज को आईना दिखाती है। वे न केवल एक सशक्त कवि-लेखक हैं बल्कि मंच और संगठनात्मक जीवन में भी सक्रिय रहकर छत्तीसगढ़ की साहित्यिक-सांस्कृतिक धारा को नई दिशा प्रदान की। 15 सितंबर 2025 को भरा पूरा, साहित्यिक बिरादरी को अलविदा कहते हुए परमधाम को चले गए।
– डुमन लाल ध्रुव

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