

साहित्यकार डुमन लाल ध्रुव के साहित्य साधना और साहित्यिक अवदान
डॉ. बिहारी लाल साहू
किरोड़ीमल कालोनी रायगढ़ ( छ.ग. )
हिन्दी और छत्तीसगढ़ी साहित्य जगत में अपनी सक्रिय और निरंतर साहित्य साधना के कारण विशिष्ट पहचान बनाने वाले साहित्यकार श्री डुमन लाल ध्रुव न केवल रचनाकार के रूप में बल्कि एक साहित्यिक आयोजक और सांस्कृतिक चेतना के प्रवाहक के रूप में भी अत्यंत सम्मानित हैं। उनका सम्पूर्ण साहित्यिक जीवन रचनात्मकता और संगठनात्मक कार्यों का अद्भुत संतुलन है। धमतरी जिले के ग्राम मुजगहन से जुड़े श्री डुमन लाल ध्रुव का साहित्य से आत्मीय रिश्ता उनके किशोर वय से ही प्रारंभ हो गया था। छत्तीसगढ़ की माटी यहां की बोली, रीति-नीति और संस्कृति ने उनके रचनात्मक व्यक्तित्व को गढ़ा। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाओं में उनका लेखन समान प्रभाव के साथ देखा जाता है। कविता, कहानी, संस्मरण, लोकसाहित्य, समीक्षा और आलेख सभी विधाओं में उनका योगदान उल्लेखनीय है। रचनात्मक कर्म और योगदान- श्री ध्रुव का रचना-संसार अत्यंत विस्तृत है। वे छत्तीसगढ़ी भाषा के साथ-साथ हिन्दी में भी गंभीर रचनाएं करते आ रहे हैं। उनकी रचनाओं में लोकजीवन की सहजता, सामाजिक सरोकार, जनचेतना, ग्रामीण संस्कृति और मानवीय मूल्यों का प्रभावी चित्रण मिलता है।
उनकी कविताएं छत्तीसगढ़ की धरती की खुशबू, संघर्षशील जनजीवन और बदलते सामाजिक परिवेश की गवाही देती है। उनकी कहानियां और आलेख गांव-समाज की वास्तविकताओं को सामने लाते हैं और पाठकों को सोचने पर विवश करते हैं।
समीक्षात्मक लेखन में वे गहरी दृष्टि और संतुलित आलोचना के लिए जाने जाते हैं। श्री डुमन लाल ध्रुव का सबसे बड़ा अवदान केवल लेखन तक सीमित नहीं है। धमतरी ज़ले के ग्राम मुजगहन में उन्होंने छत्तीसगढ़ का एकमात्र साहित्य सदन स्थापित किया। इसके अतिरिक्त धमतरी जिला हिन्दी साहित्य समिति के लिए उन्होंने जिस साहित्य भवन का निर्माण कराया वह छत्तीसगढ़ के साहित्यिक परिदृश्य में मील का पत्थर है। यह भवन साहित्यकारों, कवियों, लेखकों और साहित्य प्रेमियों के लिए एक साझा मंच के रूप में कार्य करता है। यहां होने वाले साहित्यिक आयोजन, गोष्ठियां, कवि सम्मेलन, विमर्श और विमोचन कार्यक्रम न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य को नई दिशा देने वाले साबित हुए हैं। यह कहा जाए कि श्री ध्रुव ने साहित्य भवन के माध्यम से छत्तीसगढ़ के साहित्य को स्थायी आधार और संस्थागत स्वरूप प्रदान किया है तो अतिशयोक्ति न होगी।
डुमन लाल ध्रुव का व्यक्तित्व साहित्यिक अनुशासन, सादगी और लोकमंगल की भावना से परिपूर्ण है। वे मानते हैं कि साहित्य केवल मनोरंजन या शब्द कौशल का माध्यम नहीं बल्कि समाज को दिशा देने और मानवीय संवेदनाओं को पुष्ट करने की शक्ति है। उनकी यही दृष्टि उन्हें अन्य साहित्यकारों से अलग करती है। उनकी उपस्थिति ने धमतरी और आसपास के क्षेत्र में साहित्यिक चेतना को जीवित रखा है। नई पीढ़ी के लेखकों और कवियों को प्रेरित करने उन्हें अवसर और मंच प्रदान करने में उनका योगदान अमूल्य है।
यदि उनके साहित्यिक अवदान को समीक्षात्मक दृष्टि से देखें तो स्पष्ट होता है कि
रचनात्मक पक्ष में वे लोकजीवन और यथार्थ के सशक्त प्रवक्ता हैं। संगठनात्मक पक्ष में उन्होंने छत्तीसगढ़ी और हिन्दी साहित्य को नया आयाम दिया है। सांस्कृतिक पक्ष में उनकी भूमिका एक सेतु की तरह है जिसने परंपरा और आधुनिकता को जोड़ने का कार्य किया। उनकी यह त्रिवेणी—रचना, संगठन और संस्कृति—उन्हें विशिष्ट बनाती है।
डॉ. बिहारी लाल साहू
किरोड़ीमल कालोनी रायगढ़ ( छ.ग. )






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