Sliding Message
Surta – 2018 से हिंदी और छत्तीसगढ़ी काव्य की अटूट धारा।

सत्‍यधर बांधे ‘ईमान’ की 5 लघुकथाऍं

सत्‍यधर बांधे ‘ईमान’ की 5 लघुकथाऍं
सत्‍यधर बांधे की लघुकथा
सत्‍यधर बांधे की लघुकथा

लघुकथा- साहस

नौ वर्षीय मुनिया अभी स्कूल की छुट्टी का खुब आनंद उठा रहीं थी, दिन-भर टीवी देखकर और गेम खेल कर दिन बिता रही थी । जब तक पिताजी आफिस नहीं चले जाते थे, पिताजी के मोबाइल से गेम खेलती और पिताजी के चले जाने के बाद लैपटॉप से गेम खेलती थी। मुनिया के जिद्द करने के कारण पिताजी ने लैपटॉप में गेम डालकर उसे चालू करना और गेम खेलना सीखा दिया था।

आज पिताजी के आफिस चले जाने के बाद मुनिया रोज की तरह लैपटॉप में गेम खेल रही थी, तभी मुनिया की सहेली बाहर से मुनिया को आवाज लगायी, आवाज सुनकर मुनिया दरवाजा खोलने के लिए जल्दबाजी में उठने लगी, तभी मुनिया के हाथ से लगकर लैपटॉप नीचे गिर कर टूट गया। यह देख कर मुनिया एकदम से घबराकर डर गई, और डर के मारे लैपटॉप को जल्दी से बैग में भरकर रख दिया। आवाज सुनकर मुनिया की माँ भी आगई और पूछने लगी ” क्या गिरा? किसका आवाज आया था? मुनिया माँ से झूठ बोलनी लगी “कुछ नहीं माँ, यहाँ तो कुछ नहीं गिरा, रसोई में कुछ गिरा होगा। मुनिया की बात सुनकर माँ रसोई में चली गई। माँ के जाते ही मुनिया सहेली के साथ खेलने चली गई और यही सोचती रही पिताजी आएंगे तो क्या बोलूंगी। उसका खेलने में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था, बार-बार यही सोच रही थी, “पिताजी को लैपटॉप की बात पता चलेगा तो बहुत डाटेंगे, मैं आज पिताजी को नहीं बताऊँगी और बाद में कह दुंगी, कैसे टूट गये मुझे नहीं मालूम।” मुनिया आज शाम तक घर नहीं आई, अपनी सहेली के घर ही खेलती रही।

शाम को जब पिताजी घर पहुंच गए थे तब मुनिया डरते – डरते घर आई और पिताजी को देखते ही सिसकर रोने लगी। मुनिया को अचानक से रोते देख पिताजी बोले “क्या हुआ बेटा, क्यों रो रही हो? मुनिया सिसकती हुई बोली ”पिताजी मुझे क्षमा कर दीजिए, आपका लैपटॉप मुझसे गिरकर टूट गया।” मुनिया की बातें सुनकर पिताजी को एक पल के लिए बहुत गुस्सा आया, फिर देखा की मुनिया कितनी डरती हुई भी साहस करके अपनी गलती को स्वीकार कर सच्च बोल रही है। पिताजी मुनिया को थपथपाते हुए बोले “कोई बात नहीं बेटा, मैं कल ही लैपटॉप को सुधारने के लिए दे दूंगा”।

लघुकथा :- नसीहत

सुबह के दस बजे सोहन दफ्तर जाने के लिए निकल ही रहा था की एक सेल्समैन आ पहुंचा, दरवाजे की घंटी बजाई और दरवाजा खुलते ही शुरू हो गया – नमस्कार सर मैं एक सुपर मार्केट मार्केटिंग कंपनी से आया हूँ, हमारी कंपनी एक बहुत अच्छा उपहार स्कीम लेकर आई है, आपको हम से दो हजार रुपये का एक स्क्रैच कार्ड खरीदना होगा और बदले में हम आपको पाँच हजार मुल्य के एक हाथ घड़ी, एक कैमरा और एक श्रीयंत्र तत्काल प्रदान करेंगे और कार्ड स्क्रैच करने पर उसमें से टीवी, फ्रीज, वाशिंग मशीन निकलेगा उसे हम होम डिलीवरी कर देंगे। इतना सुनते ही सोहन बोला- अरे वाह आपकी कंपनी तो बहुत बढ़िया स्कीम लेकर लाई है, ऐसा कौन सा खजाना आप लोगों के हाथ लग गया है जो इतने कम रुपये में इतना सारा सामान दे रहो। इतना सुनते ही सेल्समैन तपाक से बोल पड़ा – ऐसा कुछ नहीं है सर, हमारी कंपनी अभी नई-नई है इसलिए प्रचार-प्रसार के लिए यह स्कीम लाई है। सेल्समैन की बात सुनकर सोहन बोला- कुछ भी हो भाई मुझे तो कुछ नहीं चाहिए मेरे पास सब कुछ है, चलो मुझे दफ्तर जाने में देर हो रही है। सोहन की बातें सुनकर सेल्समैन बोला – कोई बात नहीं सर, आप मेरे पहले ग्राहक हैं, मैं आपको मुफ़्त में यह श्रीयंत्र देता हूँ, आप अपना नाम और पता इस डायरी में भर दीजिए ताकि मैं कंपनी को यह बता सकूँ की मैंनें आपसे संपर्क किया था। मुफ़्त में चलो कुछ तो मिल रहा है यह सोचकर सोहन ने श्रीयंत्र लेकर अपना नाम और पता डायरी में भर दिया और दफ्तर के लिए चले गये। दफ्तर पहुंचे अभी सोहन को एक घंटा ही हुआ था कि कालोनी के रमेश भैया का फोन आया, फोन उठाते ही आवाज आई – हाँ हैलो सोहन मुझे तो स्क्रैच कार्ड में वाशिंग मशीन मिला है तुम्हे क्या मिला है? रमेश भैया की बातें सुनकर सोहन हड़बड़ाते हुए बोले – भैया मैंने तो कार्ड खरीदा ही नहीं है। इतना सुनते ही रमेश भैया आश्चर्य से बोले – अरे ऐसे कैसे हो सकता, डायरी में सबसे पहले तो तुम्हारा ही नाम लिखा है, और तुम्हारा ही नाम बोल-बोल कर उस सेल्समैन ने कालोनी के दस – पन्द्रह घरों में स्क्रैच कार्ड बेच कर चले भी गया और अब उसका फोन भी नहीं लग रहा है । रमेश भैया की बातें सुनकर सोहन मुस्कुराते हुए बोला – रमेश भैया अब बाजार जाकर उन सामानों का दाम मत पुछने लग जाना, जीवन में कुछ घटनाएँ हमें बहुत कुछ नसीहत दे जाती है।

लघुकथा-परिस्थितियां

आज रामू को दफ्तर आने में थोड़ी देर हो गई, रामू के दफ्तर पहुंचते ही सहकर्मी उसे चिढाने लगे ”क्या बात है आजकल आप भी देर से आने लगे” रामू मुस्कुराता हुआ बोला ” क्या करुं घर में थोड़ा काम बढ़ गया है, श्रीमती जी का सातवां महिना चल रहा है इसलिए घर के काम-काज मुझे ही करने पड़ते है। अरे वाह यह तो खुशी की खबर है मिठाई खिलानी पडेगी “सहकर्मी तपाक से बोल पड़ा। रामू बोला ” हाँ हाँ भाई, खुशखबरी तो आने दो, अभी तो मेरी ही डबल ड्यूटी चल रही है, श्रीमती का बहुत ध्यान रखना होता है, उसे कुछ भी काम करने नहीं देता, खाना बनाना, कपड़े – बर्तन धोना, घर में झाड़ू पोछा करना सारे काम मैं ही करता हूँ, सोच रहा हूँ सासू माँ को कुछ दिन के लिए बुला लूँ।

इतना कहकर रामू अपने कक्ष की ओर बढ़ने लगा, तभी देखता है कि बड़े बाबू मोबाईल में समाचार देख रहें हैं। बड़े बाबू रामू को देखते ही बोले पड़े, कैसी – कैसी परिस्थितियों में लोग घर पहुंचने के लिए पैदल यात्रा कर रहे हैं, एक गर्भवती महिला 800 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अपने घर जा रही थी और रास्ते में ही उसने अपने बच्चे को जन्म दे दिया।

लघुकथाआश का फूल

मौसम बहुत सुहाना था, खिली-खिली धूप निकली हुई थी। मन किया की एक सदा सुहागन का पौधा लाऊँ, उसे आंगन में लगाऊँ। नर्सरी गया वहाँ से एक पौधा लाया और बड़े जतन से आँगन में लगा दिया। अगले दिन अचानक ही मौसम बहुत खराब हो गया, काले – काले बादल पूरे आसमान में छा गए। बादल बरसता नहीं था, लेकिन दिन में भी रात की तरह अंधेरा हो गया था। कई दिन बित गए न बादल छटा और न ही उजाला हुआ, गलियाँ सुनसान और बस्ती वीरान लगने लगी। ऐसा लगने लगा की मेरा ये सदाबहार का पौधा अब शायद नहीं बच पाएगा, मन निराशा से घिर गया। अब तो इस अंधेरे से डर लगने लगा था, दिन और रात एक जैसे हो गए थे।

अगले दिन आँखें खुली तो देखा बादल कुछ छटने लगा है और हल्की सी सुनहरी धूप निकलने लगी है। अब सदा सुहागन के पौधे में जान आने की उम्मीद जगने लगी थी। दिन बिते और मौसम सुहाने होते गये, सदा सुहागन के पौधे में नये पत्ते आने लगे, अब बस फूल खिलने का इंतजार है।

लघुकथाअपने हाथ में

मंगलू आज बहुत परेशान था अकेला आदमी और ढेरों काम, खेतों में कीड़े लग गये थे जिसके लिए दवाई लेने जाना था, श्रीमती के लिए डाक्टर बुलाना था, घर के लिए सब्जी भाजी भी लाना था। हड़बड़ाहट में उसने दो हजार रुपये के नोट पेटी से निकाले और घर से बाहर जाने लगा, तभी उसे याद आया बीड़ी का बंडल तो लेना ही भूल गया। वह तुरंत वापस आया और बीड़ी के बंडल को नोट वाले हाथ में ही पकड़ लिया और बाहर जाने लगा, तभी दूसरे कमरे से कराहती हुई आवाज आई ” अजी सुनते हो बाहर जा रहे हो तो खेत के लिए दवाई ले आना, डाक्टर को बुला लेना और सब्जी भाजी भी ले आना ” इतना सुनते ही मंगलू झुंझलाकर बोला ” हँ भाग्यवान सब ले आऊंगा ” तभी दूसरे कमरे से फिर आवाज आई ” रुपये लेना मत भूलना ” रुपये का नाम सुनते ही मंगलू इधर-उधर देखने लगा, अभी तो दो हजार का नोट निकाला था कहाँ रख दिया। कभी कमरे के भीतर जाकर ढूंढता, कभी कमरे के बाहर आकर ढूंढता, कभी पास में खेल रहे बच्चों को डाटकर पूछता। ढूंढते-ढूंढते मंगलू को दस मिनट हो गये , झुंझलाकर मंगलू एक किनारे बैठ गया और बीड़ी पीने के लिए बीड़ी निकालने लगा, तभी देखता है दो हजार का नोट तो उसी के हाथ में है, मंगलू का दिल धक से करके रह गया है।

इसी तरह आज कोरोना जैसे घातक वायरस से बचाव भी हमारे हाथ में है, घर पर ही रहकर अपना और अपने परिवार का बचाव किया जा सकता है।

लघुकथा--सत्‍यधर बांधे 'ईमान'

इसे भी देखें’

सत्‍यधर बांधे की छत्‍तीसगढ़ी लघुकथाऍं

मेरी 7 लघुकथाऍं-सत्‍यधर बांधे ‘ईमान’

2 responses to “सत्‍यधर बांधे ‘ईमान’ की 5 लघुकथाऍं”

  1. सत्यधर बान्धे Avatar
    सत्यधर बान्धे

Leave a Reply to मेरी 7 लघुकथाऍं-सत्‍यधर बांधे 'ईमान' » Surta Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अगर आपको ”सुरता:साहित्य की धरोहर” का काम पसंद आ रहा है तो हमें सपोर्ट करें,
आपका सहयोग हमारी रचनात्मकता को नया आयाम देगा।

☕ Support via BMC 📲 UPI से सपोर्ट

AMURT CRAFT

AmurtCraft, we celebrate the beauty of diverse art forms. Explore our exquisite range of embroidery and cloth art, where traditional techniques meet contemporary designs. Discover the intricate details of our engraving art and the precision of our laser cutting art, each showcasing a blend of skill and imagination.