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बाल साहित्य (कविता संग्रह):एक घोंसला चिड़िया का -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य (कविता संग्रह):एक घोंसला चिड़िया का -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

14.चिड़ियों के नन्हे नन्हे बच्चे

चिड़ियों के नन्हे नन्हे बच्चे ,
आये हैं अब नयी डाल पर ,
कल तक थे ये सभी पड़े ,
उस डाली पर शांत नीड़ पर ।
नयी नयी बातें करते हैं ,
नये नए पक्षी मिलते हैं।
नये तरीके सीखेंगे ,
अब ये उड़ना सीखेंगे।

15.सोचे नये खेल बच्चों ने

सोचे नये खेल बच्चों ने
देखा जब तितली उपवन में
सोचा कैसे पास बुलाऊँ ,
कैसे कहूँ तितलियाँ आओ।
कैसे हम भी संग उड़ जायें।

देख उन्हें पक्षी मुस्काया ,
बोला पौधे खूब लगाओ ,
उन्हें हरा भरा रक्खो ,
हरियाली को खूब बढ़ाओ।

हम सब बनकर दोस्त तुम्हारे ,
बच्चे हम अक्सर आ जायेंगे।
पक्षी , तितली भँवरे कितने
रोज़ रोज़ आ गुंजायेंगे।

16.बजा के सीटी बंदर आया

बजा के सीटी बंदर आया ,
उसके पीछे कितने बच्चे ,
गोल गल से चक्र बनाये ,
कभी अन्य आकृति में आते ।

बंदर उछल कूद करता है ,
खुश हो बच्चे चिल्लाते रहते।
कुछ बच्चे गाना गाते हैं ,
काफी खुश हैं सब के सब ।
बजा के सीटी बंदर आया ,
उसके पीछे कितने बच्चे।

17.हम गीत प्रेम के गाते

खेतों से , खलिहानो से ,
भारत माँ के अंचल से ,
हम गीत प्रेम के गाते हैं।
भारत के रहने वाले दुनिया को,
मानवता का सन्देश सुनाते हैं।
यहाँ हमारे जीवन में करुणा है ,
संस्कार हमारे मानवता के।
संपूर्ण विश्व हमको लगता है ,
जैसे कोई कुटुंब हो।
खेतों से , खलिहानो से ,
भारत माँ के अंचल से ,
हम गीत प्रेम के गाते हैं।

18.हुई शाम

हुई शाम , मौसम सुहावना ,
लौटे पक्षी अपने नीड़ ।
दिन भर का हम कर आये काम ,
अब मिला हमें शांत विराम।
हुई शाम , मौसम सुहावना ,
लौटे पक्षी अपने नीड़ ।
सभी हैं खुश , कर रहें बात ,
चिड़ियों के कलरव से गूंजा पेड़।
हुयी शाम , मिला हमें शांत विराम।

19.हे बादल

हे बादल , दे दो हमको
कुछ फूल हमें भी दे दो।
सूख रहें हैं देखो पौधे ,
फूल न आये इनमे अबतक ,
इनको हरा भरा कर दो।
हे बादल दे कुछ बौछारें ,
थोड़ी सी वर्षा कर दो।
हरियाली छा जाए उससे ,
पौधों को लहराये ,
हे बादल आओ छा जाओ ,
थोड़ी सी वर्षा कर दो।

20.नीम वृक्ष तुम कितने प्यारे

नीम वृक्ष तुम कितने प्यारे ,
तुम मेरे कितने प्यारे मीत।
तुमसे मिलने आतीं चिड़ियाँ ,
जो मेरी भी तो हैं मीत।
इस बसंत में हैं ,देखो ,
कितने प्यारे प्यारे फूल।
हरी पत्तियों पर छाये हैं ,
तारों जैसे लगते फूल।
नीम वृक्ष तुम कितने प्यारे ,
तुम मेरे कितने प्यारे मीत।

21.भँवरा भी जाने क्या गाता

भँवरा भी जाने क्या गाता,
खिड़की के उस पार न जाने
कैसे कैसे गीत सुनाता।
बाहर जब हम आते हैं ,
वह फूलों तक ले जाता।
इधर फूल पर , उधर फूल पर
गाता रहता , गुंजाता।
भँवरा कितना प्यारा है ,
कैसे कैसे गीत सुनाता।

22.हरी -हरी चिड़िया

हरी हरी चिड़िया है बैठी ,
हरे हरे पत्तों में आकर।
छिप छिप कर वह चक चक करती ,
इधर बुलाती , उधर बुलाती।
बच्चे उसको ढूंढ न पाते ,
वह उन सब पर मुस्काती।
गाती रहती , गाती रहती ,
हरी हरी चिड़िया है बैठी ,
हरे हरे पत्तों में आकर।

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