
नवराती
नवराती (सारछंद)
ये आगे नवराती रिगबिग,चमकत दीया बाती।
टिकली चंदा कस महतारी,दमकत आती जाती।।
तोर दुवारी नर अउ नारी,राजा रंक भिखारी।
सबो बरोबर लइका दाई,नइहे गउ चिनहारी।।
सातो बहिनी जोरे बँइहा,सुकवा कहय पहाती।
टिकली चंदा कस महतारी,दमकत आती जाती।।
फुल फुलवारी जोत जँवारा,लहर लहर लहरावय।
भैरव बाबा लाला लँगुरा,निशदिन चँवर झुलावय।।
कोनों बाँधे नरियर भेला,भेजय कोनों पाती।
टिकली चंदा कस महतारी,दमकत आती जाती।।
खेलत आबे कूदत आबे,दाई मोर दुवारी।
चटनी बासी खाबे भाजी,राँधे मोर सुवारी।।
तोसन लइका हँव महतारी,गावँव गीत सुहाती।
टिकली चंदा कस महतारी,दमकत आती जाती।।
दुर्गा बिदाई गीत
जग मोहनी नव दुर्गा दाई, झन तैं भुलाऽबे ओ
अबके जवइया हे महामाई, जल्दी तैं आबे ओ
तोर देवाला तोर मंदिर मा,बाजत रिहिस झांझ ताल ओ
जावत ओ तोला देख के दाई, कइसे होगे हावय हाल ओ
एक्कीस बहिनिया रोवत हावय,भैरव लंगुरवा लाल ओ
ब्रम्हा रोवत हे बिसनु रोवत हे, रोवत संउहे महाकाल ओ
आरो ल सुन के अपन भगत के,हाथ लमाबे ओ
अबके जवइया हे महामाई, जल्दी तैं आबे ओ
जोत जँवारा फूल फूलवरिया,सुन्ना होगे रखवार ओ
नवदिन रतिहा सेवा बजाइन,अतरी काबर दिन बार ओ
ममता बढ़ाये ओलीम बिठाये,दिये हस मया दुलार ओ
अइसन काबर हम ला छोड़त हस, काबर दिये बिसार ओ
रोवत हँव दाई तोर सरन मा, अउ सोरियाबे ओ
अबके जवइया हे महामाई, जल्दी तैं आबे ओ
ढरर ढरर ढर आंखी ह बरसे, दाई जाए के बेरा मा
झन रितयाबे बघवा मा आबे, दाई इही मोर डेरा मा
झन पथरावय मोर आंखी हा, रस्ता देखे के फेरा मा
साज सिंगारी खीर सोंहारी, राखे रहूँ मँय पठेरा मा
जोहर ललना तोसन कहत हे,भाग जगाबे ओ
अबके जवइया हे महामाई जल्दी तैं आबे ओ।
नयना ले का जादू डारे
(लावणी छन्द )
नयना ले का जादू डारे,काबर दिल मा मया करे।
घायल होगे तन हा मोरे, धुकुर धुुकुर मन जिया करे।।
तड़पँव तोर अगोरा करके, थोरिक आरो मोरो ले।
करथँव पीरीत मया गउकिन, छूटय बोली तोरो ले।।
काबर तैं नइ समझस बैरी,उबुक चुबुक मोरो हिया करे।
घायल होगे तन हा मोरो, धुकुर धुुकुर मन जिया करे।।
आथे सुरता बड़ रोवाथे, काबर अतिक सताथस तैं।
बन भँवरा मैं किंजरत रहिथौं,चंपा कस मुसकाथस तैं।।
जब अध रतिहा तब मैं जागँव ,छुन छुनुक पायलिया करे।
घायल होगे तन हा मोरे, धुकुर-धुुकुर मन जिया करे।।
आजा अब तैं मोर दुवारी,बगिया मोर महक जाही।
रात रही देवारी संगी,दिनमान संग होरी आही।।
छोड़ अधूरा जिनगी मोरे,काबर तैं पर पिया धरे।
घायल होगे तन हा मोरे, धुकुर धुुकुर मन जिया करे।।
जग हरेली
(गीतिका छंद)
आज हावय जग हरेली,मात गेहे खार गा।
खोंच दशमुर के चले हे,द्वार लिमवा डार गा।।
साज गेड़ी आज लइका,घूम झूमे गाँव मा।
रूख राई झूमरे मन,थोर पीपर छाँव मा।।
दौड़ बइला देख के मन,वाह वाही गात हे।
घेंच घाँटी मेछरावै, जोर के इतरात हे।।
फूगड़ी के खेल खेले,खोर नोनी हाँस के।
जाँच होथे साँच मा अब,हे परीछा साँस के।।
मान बाढ़ै शान बाढ़ै, मोर धरती मात के।
जोन कोती देख तैंहर,डोंगरी घन छात हे।
अब लगाले एक ठन गा,रूख दाई नाँव के।
कोन तरसे अब इहाँ, हाथ ममता छाँव के।।
-तोषण चुरेन्द्र “दिनकर”
धनगाँव डौंडी लोहारा







Leave a Reply to तोषण चुरेन्द्र ‘दिनकर’ Cancel reply