1
हैं चरण पादुका को लिए हाथ में
प्रेम इतनी लगाए हुए माथ में
धन्य भक्ति भरत की कही जाए ना
राम पाने चले राम के साथ में
2
सोंचती हूँ लिखूँ प्रेम या पीर मैं
जो वचन से बंधा था लिखूँ नीर मैं
या लिखूँ उर्मिला की प्रतीक्षा कहो ?
त्याग की मूर्ति या लिखूँ धीर मैं
3
जानती है बखूबी हृदय भेदना
कूटकर है भरी इसमें संवेदना
घाव देकर कभी दिव्य औषध बनी
है बड़ी खूबसूरत मेरी वेदना
4
सच कहूँ आत्मा में वो घर कर गई
वेदना मेरे हिस्से में भरकर गई
रह न जाए कभी आँसुओ की कमी
इसलिए दोष मेरे ही सर कर गई
5
बाद कितने सदी के जगी नारियाँ
अब हुई हैं स्वयं की सगी नारियाँ
जीतना आ गया हारते हारते
चाँद तारों को छूने लगी नारियाँ
6
दुख भरे खार से पार होकर सखी
स्वप्न अनगिन थे सारे ही खोकर सखी
देखिए आज मजबूत मैं हो गई
नीर हिस्से में थे उसको रोकर सखी
7
राम को भेज वनवास कैसे दिया
माँ नहीं तुम मेरी तुमने ये क्या किया
त्यागता हूँ तुम्हें कैकयी आज मैं
खो चुकी तुम भरत को वचन है लिया
8 छल किया जब सुखों ने है छोड़ा मुझे
बस यही जानकर सबने तोड़ा मुझे
वेदनाओं ने पाला मुझे इस तरह
मुस्कुराकर स्वयं से है जोड़ा मुझे
9
दिव्यता देखकर दुष्टता कर गई
राम के मोह में नीचता कर गई
कट गई नासिका जब लखन वार से
है यही शूर्पणखा सिद्धता कर गई
10 नाथ मंदोदरी ये करे प्रार्थना
कीजिए आप मत उनकी अवमानना
जग नियंता स्वयं राम आए यहाँ
हार हो आपकी जग करे कामना
वसुंधरा पटेल “अक्षरा”
ग्राम टायंग पोस्ट जैमुरा रायगढ़ (छत्तीसगढ़)






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