मानवता धर्म से भिन्‍न नहीं धर्म का अभिन्‍न अंग है

धर्म एक व्‍यापक शब्‍द है जिसके लिये कहा गया है-'धारयति इति धर्म:' अर्थात जिसे धारण किया…